34 injured vultures from Haryana to Maharashtra: हरियाणा से महाराष्ट्र लाए गए 34 संकटग्रस्त गिद्ध, जल्द होगी जंगल में रिहाई

📝 Last updated on: May 15, 2025 12:46 am
34 injured vultures from Haryana to Maharashtra

34 injured vultures from Haryana to Maharashtra : भारत में संकटग्रस्त गिद्धों के संरक्षण की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम उठाते हुए, हरियाणा के पिंजौर स्थित बिर शिकरगाह वन्यजीव अभयारण्य से 34 कैप्टिव-ब्रीड (कैद में पाले गए) गिद्धों को महाराष्ट्र के जंगलों में पुनः रिहा किया गया है। यह पहल राज्य के वन विभाग और बॉम्बे नेचुरल हिस्ट्री सोसाइटी (BNHS) के सहयोग से की गई है।​

34 injured vultures from Haryana to Maharashtra | गिद्धों का स्थानांतरण और रिहाई की प्रक्रिया

इन गिद्धों को महाराष्ट्र के पेंच टाइगर रिजर्व और ताडोबा अंधारी टाइगर रिजर्व में स्थानांतरित किया गया। यह स्थानांतरण और रिहाई की प्रक्रिया गिद्धों की प्राकृतिक आवास में पुनः स्थापना के लिए एक महत्वपूर्ण कदम है। गिद्धों को पहले पिंजौर के बिर शिकरगाह वन्यजीव अभयारण्य में कैद में पाला गया था, और अब उन्हें उनके प्राकृतिक आवास में वापस भेजा गया है।​

संरक्षण प्रयासों की आवश्यकता

34 injured vultures from Haryana to Maharashtra
34 injured vultures from Haryana to Maharashtra

गिद्धों की संख्या में गिरावट का मुख्य कारण डाइक्लोफेनेक जैसे हानिकारक दवाओं का उपयोग है, जो मवेशियों के इलाज में किया जाता है। गिद्ध इन मृत मवेशियों को खाते हैं, जिससे वे इस दवा के प्रभाव से मर जाते हैं। इसलिए, गिद्धों के संरक्षण के लिए इन दवाओं के उपयोग पर प्रतिबंध और जागरूकता अभियान आवश्यक हैं।​

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निगरानी और भविष्य की दिशा

गिद्धों की रिहाई के बाद, उनकी गतिविधियों की निगरानी के लिए GPS टैग लगाए गए हैं। इससे वन्यजीव विशेषज्ञों को गिद्धों के व्यवहार और उनकी स्थिति पर नजर रखने में मदद मिलेगी, और भविष्य में उनके संरक्षण के लिए बेहतर रणनीतियाँ बनाई जा सकेंगी।​

यह पहल गिद्धों की प्रजातियों के संरक्षण और उनके प्राकृतिक आवास में उनकी पुनः स्थापना की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। इससे न केवल गिद्धों की संख्या में वृद्धि होगी, बल्कि पर्यावरणीय संतुलन बनाए रखने में भी मदद मिलेगी।

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Conclusion

यह पहल संकटग्रस्त गिद्धों के संरक्षण की दिशा में एक अहम कदम है। हरियाणा से महाराष्ट्र तक स्थानांतरित किए गए इन गिद्धों की निगरानी GPS टैग से की जा रही है। यह प्रयास न केवल गिद्धों की आबादी बढ़ाने में सहायक होगा, बल्कि पारिस्थितिकी संतुलन को भी मजबूत करेगा।