Barda Wildlife Sanctuary: गुजरात का बरडा वन्यजीव अभयारण्य एशियाई शेरों का दूसरा घर

📝 Last updated on: May 15, 2025 12:46 am
Barda Wildlife Sanctuary

बरदा को मिला नया दर्जा

Barda Wildlife Sanctuary: गुजरात के पोरबंदर के पास स्थित बरडा वन्यजीव अभयारण्य (Barda Wildlife Sanctuary – BWS) को एशियाई शेरों (Panthera leo persica) के लिए संभावित दूसरे निवास स्थान के रूप में पहचाना गया है। यह स्थल गिर राष्ट्रीय उद्यान से लगभग 100 किलोमीटर दूर स्थित है।

आनुवंशिक विविधता की चुनौती

गिर में रहने वाले शेरों की कम आनुवंशिक विविधता उन्हें महामारियों और अन्य प्राकृतिक आपदाओं के प्रति संवेदनशील बनाती है। इस कारण 1990 के दशक से ही गुजरात और अन्य राज्यों में शेरों के लिए वैकल्पिक निवास स्थलों की तलाश की जा रही थी।

न्यायालय के आदेश और कूनो का मामला

सुप्रीम कोर्ट ने 2013 में केंद्र सरकार को एशियाई शेरों को छह महीने के भीतर मध्य प्रदेश के कूनो राष्ट्रीय उद्यान में स्थानांतरित करने का आदेश दिया था। हालांकि, अब तक यह स्थानांतरण नहीं हो पाया है। इसके विपरीत, 2020 में अदालत ने अफ्रीकी चीतों को कूनो में लाने की अनुमति दे दी, जिनमें से कुछ नामीबिया से लाए जा चुके हैं।

केंद्रीय मंत्री का बयान

केंद्रीय पर्यावरण राज्य मंत्री अश्विनी कुमार चौबे ने लोकसभा में बताया कि भारतीय वन्यजीव संस्थान (WII) ने बरडा को 40 शेरों के लिए उपयुक्त स्थल के रूप में पहचाना है। यहां शेरों को बरडा-आलेच पहाड़ियों और तटीय जंगलों के विस्तृत परिदृश्य में बसाया जा सकता है।

विशेषज्ञों की चेतावनी

हालांकि, वन्यजीव विशेषज्ञ रवि चेलम का मानना है कि बरदा, कूनो का विकल्प नहीं हो सकता क्योंकि यह गिर से बहुत ही निकट (100 किमी) है। उनके अनुसार, यदि कोई चक्रवात सौराष्ट्र से टकराता है, तो यह बरदा को भी प्रभावित कर सकता है। इसके अलावा, संक्रामक रोगों से बचाव के लिए अधिक दूरी आवश्यक है।

बरडा में शिकार प्रजातियों का स्थानांतरण

चित्तीदार हिरणों का स्थानांतरण

गुजरात वन विभाग ने गिर वन से चित्तीदार हिरणों और साँभरों को बरदा में स्थानांतरित करना शुरू कर दिया है। हाल ही में 23 हिरणों को बोमा तकनीक (Boma Technique) के माध्यम से पकड़ा गया और पोरबंदर स्थित बारदा अभयारण्य में छोड़ा गया।

Barda Wildlife Sanctuary इस पहल के उद्देश्य

  • शेरों के लिए भोजन की व्यवस्था: बरदा में शिकार की कमी के कारण यह कदम शेरों के जीवनयापन के लिए जरूरी है।
  • प्राकृतिक पारिस्थितिकी बहाल करना: बरदा में ऐतिहासिक रूप से शेर रहते थे, और उनकी वापसी प्राकृतिक संतुलन बहाल करने में सहायक होगी।
  • गिर की आबादी का प्रबंधन: गिर में 90,000 से अधिक चित्तीदार हिरण हैं, जिससे आंशिक स्थानांतरण से संतुलन बना रहेगा।

Varda vanya jeev abhyaran kahan hai | बरडा वन्यजीव अभयारण्य

  • स्थान: पोरबंदर से 15 किमी दूर और गिर से 100 किमी पश्चिम में।
  • क्षेत्रफल: 192.31 वर्ग किमी, मुख्यतः पहाड़ी इलाका।
  • नदियाँ: बिलेश्वरी और जोघरी।
  • बाँध: खंबाला और फोडारा।
  • जनजातीय समुदाय: मालधारी, भरवाड़, रबारी, गढ़वी।

गिर-बरडा परियोजना

वर्ष 1979 में शुरू की गई “गिर-बरडा परियोजना” का उद्देश्य बरडा को एशियाई शेरों के लिए द्वितीय निवास स्थान के रूप में विकसित करना था।

बरडा की जैव विविधता

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वनस्पति

यहां रेयान, बबूल, बेर, जामुन, अमली, बाँस, धव आदि जैसे महत्वपूर्ण पेड़ पाए जाते हैं।

जीव-जंतु

  • स्तनधारी: तेंदुआ, लकड़बग्घा, जंगली सूअर, भेड़िया, सियार, नीलगाय।
  • पक्षी: धब्बेदार चील, क्रेस्टेड हॉक ईगल जैसी दुर्लभ प्रजातियाँ।

एशियाई शेर: विशेष जानकारी

  • वैज्ञानिक नाम: Panthera leo persica
  • प्रजनन: कोई निश्चित समय नहीं, हर दो वर्ष में शावकों का जन्म।
  • गर्भावस्था: लगभग 3–4 महीने; 1 से 4 शावक।
  • पूर्व निवास क्षेत्र: पश्चिम बंगाल से मध्य प्रदेश तक।
  • वर्तमान निवास: केवल गिर अभयारण्य।

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संरक्षण स्थिति और खतरे

  • IUCN रेड लिस्ट: लुप्तप्राय (Endangered)
  • CITES: अनुसूची I
  • भारतीय कानून: वन्यजीव संरक्षण अधिनियम 1972 के तहत अनुसूची I
  • मुख्य खतरे: प्लेग, चक्रवात, मानव-पशु संघर्ष, अवैध शिकार