Vantara: नमस्ते दोस्तों आज मे आप के लिए लाया हु वनतारा की ओर से जरूरी अपडेट जेसे आप सब ने पिछला आर्टिकल पढ़ा होगा उसमे जानकारी यह थी के अरुणाचल प्रदेश से जिसमे लकड़ी उद्योग मे 20 हाथियों का शोषण हो रहा था उस बंदी हाथियों को आजाद करवा के वनतारा एनिमल रेस्क्यू सेंटर की टीम सभी हाथियों को लेकेर वनतारा के लिए रवाना हो गई है।

vantara: एनिमल रेस्क्यू से असम के कुछ राजकीय दल नाराज
जानकारी यह सामने आई है की असम मे कार्यकर्ताओ ओर विपक्षी दलों ने नाराजगी जताई है। क्यू टीवी चेनलों पर न्यूज मे एम्बुलेंस के फोटो को दिखाया गया है,जिसमे कुछ हाथी जिस एम्बुलेंस मे सवार है उसमे ऊपर से सूंढ़ ऊपर उठा रखी थी,तो कार्यकारों ने सवाल उठाए थे की जानवरों को 3500 किलोमीटर से ज्यादा की दूरी क्यू तय करनी पड़ी। कई लोगों को संदेह था की ये हाथी असम के है,लेकिन बाद मे अधिकारियों ने बताया की यह बंदी हाथी थे इस हाथियों को अरुणाचल प्रदेश के नामसाई से गुजरात के वनतारा ले जाया जा रहा था। गुजरात के जामनगर मे रिलायंस फाउंडेशन द्वारा स्थापित वनतारा पशु बचाव ओर पुनर्वास केंद्र है। यह केंद्र राधे कृष्ण मंदिर हाथी कल्याण ट्रस्ट के आधीन है ओर उनकी देखभाल रिलायंस फाउंडेशन का वनतारा मे अनंत अंबानी करते है।

असम के वन संरक्षण के मुख्य प्रधान विनय गुप्ता ने सोमवार को डीएच बताया की त्रिपुरा उच्य न्यायालय ओर सर्वोच्य न्यायालय द्वारा नियुक्त कीये गए एक उचयाधिकारी प्राप्त समिति द्वारा अनुमति दिए जाने के बाद बंदी हाथियों को अरुणाचल प्रदेश से गुजरात के वनतारा मे स्थानंतरित किया गया था। 2022 मे दर्ज कीये गए एक जनहित याचिका के बाद त्रिपुरा उच्य न्यायालय ने समिति का गठन किया था ओर मार्च 2023 मे सर्वोच्य न्यायालय ने इनके अधिकार क्षेत्र को देश के बाकी हिस्सों तक बढ़ा दिया था।
हाथियों का काफिला 8 , 9 दिनों के भीतर गुजरात के जामनगर वनतारा पहुचने की संभावना

असम सरकार को जारी कीये गए पत्र मे कहा गया है की वनतारा जाने वाले काफिले ने 18 जनवरी को अरुणाचल प्रदेश के नामसाई जिले से अपनी यात्रा शुरू करदी है ओर असम ,बंगाल ,बिहार ,उत्तरप्रदेश,ओर राजस्थान होते हुवे कम से कम 8 , 9 दिनों के भीतर गुजरात के जामनगर वनतारा पहुचने की संभावना है। वनतारा ने सोमवार शाम एक बयान जारी कर बताया की 20 हाथियों मे 10 नर हाथी है,8 मादा हाथी है,1 वयस्क हाथी है,ओर 1 बच्चा भी इसमे शामिल है,उन सभी हाथियों को लकड़ी उधयोग मे शोषित किया जा रहा था वही से बचा लिया गया है ओर उन्हे मुक्त करवा दिया है।
त्रिपुरा सर्वोच्य न्यायालय द्वारा सौपी गई उच्यअधिकार प्राप्त की मंजूरी से किया गया यह बचाव अभियान,

बयान मे कहा गया है की त्रिपुरा उच्य न्यायालय द्वारा गठित ओर सर्वोच्य न्यायालय द्वारा सौपी गई उच्यअधिकार प्राप्त समिति की मंजूरी से किया गया यह बचाव अभियान,जानवरों के वर्तमान मालिकों की सम्पूर्ण सहमति से संचालित किया गया है। हाथियों को जल्द ही वनतारा मे अपना स्थाई घर मिल जाएगा। वनतारा मे एक ऐसा वातावरण है जो स्वाभाविक रूप से उनके प्राकृतिक निवास स्थान जैसा ही है, वनतारा मे उसको जंजीरों से मुक्त रहेंगे ओर उन्हे कभी भी महेनत करने के लिए मजबूर नहीं किया जाएगा।बयान मे नामसाई के प्रभागीय वन अधिकारी टबाँग जामोह के हवालेसे कहा गया है की राज्य मे करीब 200 बंदी हाथी है,ओर डी एन ऐ प्रोफाइलिंग की जारही है। बयान मे जामोह ने बताया है की 20 हाथियों का स्थानांतरण हाथियों के उज्ज्वल भविष्य को सुनिषित करता है। इसमे एक मालिक द्वारा जानवर के स्थानांतरण पर खुशी व्यक्त करने का भी हवाला दिया गया है।
यह भी पढ़े : Vanatara is the largest zoo in the world | वनतरा दुनियाका सबसे बड़ा एनिमल रेसक्यू सेंटर
पशु कल्याण कार्यकर्ता गोस्वामी ने हाथी स्थानंतरित करने पर सवाल उठाया

हालाकी पूर्वी आसाम के गोलाघाट के पशु कल्याण कार्यकर्ता अपूर्व बलौ गोस्वामी ने हाथियों को देखभाल ओर पुनर्वास के वादे के साथ स्थानंतरित करने पर सवाल उठाया। अगर रिलायंस ग्रुप वास्तव मे ऐसे हाथियों के कल्याण के बारे मे चिंतित है,तो उन्हे अपने घरों से इतनी दूर ले जाने के बजाय असम ओर अरुणाचल प्रदेश मे ऐसे देखभाल केंद्र खोल दे। गोस्वामी ने सुजाव दिया की ऐसे बंदी हाथीयो को राज्य के वनविभाग द्वारा राष्ट्रीय उद्यानो ओर वन्यजीव अभयारण्यों मे पर्यटक सफारी के उदेशयों के लिए भी रखा जा सकता है। इससे राज्य के इनकम स्त्रोत मे भी इजाफा होगा,ओर जानवरों की उचित देखभाल ओर भलाई मे मदद मिलेगी। राज्य सरकार को हाथियों को कॉर्पोरेट समूह के हाथों मे जाने देनेके बजाए यह जिम्मेदारी लेनी चाहिये गोस्वामी ने कहा। हमारे पास जानकारी है की असम से भी इसी तरह कई जानवरों को ले जाया गया है। असम के विपक्षी दल रायजोर दल के विधायक अखिल गोगोई ने गुजरात मे पशुओ को ले जाने की अनुमति देने के लिए भाजपा के नेतृत्व वाली सरकार की आलोचना की। एक भी जानवर को क्षेत्र से बाहर नहीं ले जाना चाहिए ओर उनके कारण की जिम्मेदारी लेनी चाहिए। इनमे से अधिकांश बंदी हाथियों का उपयोग लकड़ी काट ने के काम मे किया जाता था,लेकिन 1996 मे सर्वोच्य न्यायालय द्वारा वनों मे वृक्षों की कटाई पर प्रतिबंध लगाने के बाद वे बेरोजगार हो गए। एक अनुमान के अनुसार,असम मे लगभग 900 बंदी हाथी मौजूद है।
FAQ
अरुणाचल प्रदेश से हाथियों को क्यू स्थानंतरित किया ?
अरुणाचल प्रदेश से हाथियों को इसी लिए स्थानंतरित किया की नामसाई जिले मे वह 20 हाथियों से लकड़ी उद्योग मे लाकड़िया उठाना खिचना वेसे काम करवाए जाते थे ओर जंजीरों मे बांध के रखे जाते थे
लकड़ी उद्योग क्या है ?
लकड़ी उद्योग मतलब जंगल मे पेड़ काट के उकसे अलग अलग केटेगरी की जाती है जिसमे इमारती लकड़ी को अलग करके फर्नीचर इत्यादि मे उपयोग किया जाता है