The complete story of Mahadevi-Madhuri एक ऐसी मूक पीड़िता की सच्ची कहानी है, जिसने 33 साल तक बेड़ियों में जकड़कर जीवन जिया और अंततः न्याय एवं करुणा की जीत के साथ आज़ाद हुई। महादेवी (जिसे मधुरी भी कहा जाता है) एक हाथी है, जिसकी ज़िंदगी की त्रासदी और फिर उसकी मुक्ति की यात्रा हर संवेदनशील हृदय को झकझोर देती है।
33 वर्षों तक एक ही ठोस फर्श, एक ही रास्ता
महादेवी ने अपने जीवन के 33 साल एक ही कंक्रीट के टुकड़े पर खड़े होकर और एक ही मार्ग पर चलते हुए बिताए। उसे लोहे की जंजीरों में बांधा गया था, उसके शरीर पर दर्दनाक अंकुश (लोहे की नुकीली छड़) से नियंत्रण रखा जाता था। त्योहारों और शोभायात्राओं के दौरान उसके पेट पर रस्सियां कसकर उसे ज़बरदस्ती परेड कराई जाती थी।
जब हम स्कूल-कॉलेज गए, नौकरी की, शादी की, और बच्चों को बड़ा किया, तब महादेवी को एकांतवास में बंद रखा गया। उसे किसी अन्य हाथी या जीव से मिलने नहीं दिया गया। यह सब हुआ कोल्हापुर के नंदनी गांव स्थित “स्वस्तिश्री जिनसेन भट्टारक पट्टाचार्य महास्वामी संस्थान (जैन मठ)” में।
बचपन की छीन ली गई आज़ादी
महज़ तीन वर्ष की आयु में महादेवी को उसकी माँ से अलग कर दिया गया और कर्नाटक से कोल्हापुर लाया गया। तभी से उसे एक कंक्रीट की के फर्श में अकेले रखा गया – उस जंगल से दूर जहाँ उसका असली घर था।
दर्द से गुस्सेल स्वभाव हुआ
2017 में, वर्षों की पीड़ा और अकेलेपन की वजह से महादेवी ने जैन मठ के मुख्य पुजारी पर घातक हमला किया। यह कोई असामान्य घटना नहीं है, क्योंकि ऐसी अमानवीय परिस्थितियों में बंद हाथी अकसर मानसिक तनाव के कारण आक्रामक हो जाते हैं।
इसके बावजूद महादेवी से बच्चों को उसकी सूंड में लपेटकर पैसे के बदले मनोरंजन करवाया गया।
राजनेताओं और संस्थानों की भूमिका
मुख्य स्वामीजी की मृत्यु के बाद, मठ के ट्रस्टी और पूर्व सांसद श्री राजू शेट्टी ने वन विभाग से महादेवी को ज़ू में भेजने की मांग की। लेकिन बाद में, 2020 में उन्होंने PETA India के प्रतिनिधियों से मुलाकात की और महादेवी के पुनर्वास को समर्थन दिया।
मुनाफे के लिए हाथी का शोषण
2012 से 2023 तक, महादेवी को कम से कम 13 बार राज्य की सीमा पार कर ज़बरदस्ती झांकियों में शामिल किया गया। मठ को यह समझ में आ गया था कि वह उसे किराए पर देकर पैसे कमा सकता है – और महादेवी की पीड़ा को किसी ने नहीं जाना ।
2022-23 में उसे तेलंगाना के मुहर्रम जुलूस में भाग लेने के लिए ले जाया गया।
जब कानून ने दखल दिया
30 जुलाई 2023 को तेलंगाना वन विभाग ने वन्यजीव संरक्षण अधिनियम, 1972 की धारा 48A के उल्लंघन के लिए महादेवी को ज़ब्त कर लिया। उसके बाद उसे महाराष्ट्र वन विभाग को सौंपा गया और वह ‘सरकारी जब्त संपत्ति’ बन गई।
20 जून 2024 को महाराष्ट्र के मुख्य वन्यजीव संरक्षक ने सुप्रीम कोर्ट की उच्च स्तरीय समिति को महादेवी के पुनर्वास की सिफारिश की।
स्वास्थ्य की भयावह स्थिति
दशकों तक कंक्रीट पर खड़े रहने और जंजीरों में रहने के कारण महादेवी को ग्रेड-4 आर्थराइटिस, पैरों में सड़न, नाखूनों की अत्यधिक वृद्धि और तलवों की गहरी क्षति हो गई थी।
कानूनी जीत और मानवीयता की बहाली
28 जुलाई 2025 को सुप्रीम कोर्ट ने बॉम्बे हाई कोर्ट के फैसले को कायम रखते हुए जैन मठ की अपील को खारिज कर दिया और महादेवी की भलाई को सर्वोच्च प्राथमिकता मानते हुए उसके ट्रांसफर का आदेश दिया।
हिंसा और विरोध के बीच आज़ादी की किरण
सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बावजूद, जब महादेवी को मठ से छुड़ाया जा रहा था, तब PETA India और वंतारा के स्टाफ पर पत्थरबाज़ी हुई। एक सदस्य की पसलियों में गंभीर चोटें आईं।
लेकिन इन मुश्किलों के बावजूद, 30 जुलाई 2025 को, 33 वर्षों की बंदिशों के बाद, महादेवी वंतारा के “राधे कृष्णा टेम्पल एलीफैंट वेलफेयर ट्रस्ट” (जामनगर) पहुँच गई – एक ऐसे घर में जहाँ न जंजीरें होंगी, न हिंसा।
नई ज़िंदगी की शुरुआत
अब महादेवी के पास खुला आकाश है, हरियाली है, साथी हाथियों का साथ है और विशेष पशुचिकित्सा सुविधा है – जिसमें विश्वस्तरीय विशेषज्ञ उसकी आर्थराइटिस के इलाज के लिए हाइड्रोथेरेपी जैसी सेवाएँ प्रदान करेंगे।
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स्थायी समाधान: कृत्रिम हाथियों की पेशकश
PETA India और FIAPO ने जैन मठ को यंत्रचालित (मैकेनिकल) हाथी की पेशकश की है, ताकि धार्मिक गतिविधियों में जीवित हाथियों के स्थान पर इनका उपयोग किया जा सके। यह पशु कल्याण और मानव सुरक्षा दोनों के लिए एक महत्वपूर्ण कदम है।
Mahadevi-Madhuri की कहानी से सबक
The complete story of Mahadevi-Madhuri हमें सिखाती है कि मूक जीवों की करुण पुकार को सुनना हमारा नैतिक कर्तव्य है। वर्षों की पीड़ा के बाद जब न्याय मिला, तो यह पूरे समाज के लिए एक जागरूकता का संदेश बना।
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Mahadevi-Madhuri: प्रमुख जानकारी तालिका
विवरण | जानकारी |
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नाम | महादेवी (मधुरी) |
लिंग | मादा हाथी |
प्रारंभिक स्थान | कर्नाटक से कोल्हापुर (जैन मठ) |
अवधि जैन मठ | 33 साल (1992–2025) |
प्रमुख समस्या | अकेलापन, बेड़ियाँ, क्रूरता |
कानूनी हस्तक्षेप | 2023–2025 |
पुनर्वास स्थान | वंतारा – जामनगर |
स्वास्थ्य स्थिति | ग्रेड 4 गठिया, फूट रॉट, नाखून विकृति |
फिलहाल देखरेख | वर्ल्ड क्लास वेटरनरी टीम-वनतारा-जामनगर |