Mahadevi Elephant From Vantara: हाथी महादेवी के विवाद पर वंतारा की कोई भूमिका नहीं, वंतारा ने सिर्फ कोर्ट के आदेश का पालन किया,जानिए पूरी सच्चाई

📝 Last updated on: August 3, 2025 10:47 pm
Mahadevi Elephant From Vantara

Mahadevi Elephant From Vantara का मुद्दा इन दिनों महाराष्ट्र के कोल्हापुर से लेकर गुजरात के वंतारा तक सुर्खियों में बना हुआ है। महादेवी, जो कि एक 36 वर्षीय एशियाई मादा हाथी है, उसके स्थानांतरण को लेकर धार्मिक भावनाओं, कानूनी आदेशों और पशु कल्याण संगठनों के दृष्टिकोण के बीच जबरदस्त बहस छिड़ गई है। आइए जानते हैं महादेवी हाथी के वंतारा जाने की पूरी सच्चाई और इससे जुड़ी हर महत्वपूर्ण जानकारी।

Mahadevi Elephant From Vantara: स्थानांतरण का असली कारण क्या है?

महादेवी पिछले तीन दशकों से कोल्हापुर के नंदनी जैन मठ में रह रही थी। लेकिन समय के साथ उसकी शारीरिक हालत बिगड़ती चली गई। विशेषज्ञों के अनुसार, महादेवी को गंभीर आर्थराइटिस, फुट रॉट संक्रमण, और नाखूनों की अत्यधिक वृद्धि जैसी समस्याएं हो गई थीं, जो जंजीरों में बंधे रहना और कठोर फर्श पर रहने से उत्पन्न हुईं। इन स्थितियों को देखते हुए बॉम्बे हाई कोर्ट ने 16 जुलाई 2025 को आदेश दिया कि महादेवी को वंतारा (जामनगर, गुजरात) स्थानांतरित किया जाए। इस आदेश को सुप्रीम कोर्ट ने भी बरकरार रखा, जिससे वंतारा को कानूनी रूप से महादेवी को अपने संरक्षण में लेने का निर्देश मिला।

वंतारा ने क्या कहा? Mahadevi Elephant From Vantara पर आधिकारिक बयान

वंतारा, जो रिलायंस फाउंडेशन द्वारा संचालित एक अत्याधुनिक पशु संरक्षण और पुनर्वास केंद्र है, ने स्पष्ट किया कि महादेवी का स्थानांतरण वंतारा की पहल पर नहीं हुआ। यह पूरी प्रक्रिया अदालतों के आदेश और पशु चिकित्सकीय विशेषज्ञों की सिफारिश पर आधारित थी। वंतारा का कहना है कि संस्था का उद्देश्य केवल महादेवी को बेहतर स्वास्थ्य सेवा, जंजीर-मुक्त वातावरण और प्राकृतिक जीवन जीने का मौका देना है।

महादेवी के समर्थन में उभरा जन आंदोलन

Mahadevi Elephant From Vantara विवाद ने कोल्हापुर में भावनात्मक लहर पैदा कर दी। जैन समुदाय और स्थानीय लोगों के लिए महादेवी केवल एक हाथी नहीं, बल्कि एक धार्मिक प्रतीक है। जब महादेवी को वंतारा भेजा गया, तो हजारों लोग सड़कों पर उतर आए। विरोध के दौरान कुछ गाड़ियों को नुकसान पहुंचा, और पुलिस को भीड़ को नियंत्रित करने के लिए लाठीचार्ज तक करना पड़ा।

Reliance और Vantara के खिलाफ बहिष्कार की मुहिम

महादेवी के स्थानांतरण के बाद सोशल मीडिया पर Reliance के उत्पादों और Jio मोबाइल सेवा के बहिष्कार की अपीलें तेजी से वायरल होने लगीं। विरोध में शामिल लोगों का आरोप था कि महादेवी को उनके धार्मिक स्थल से जबरन हटाया गया है। इस अभियान में हजारों लोग शामिल हो गए और #BringBackMahadevi जैसे हैशटैग ट्रेंड करने लगे।

अदालत में फिर से लड़ाई जारी

नंदनी जैन मठ ने महादेवी को वापस लाने के लिए सुप्रीम कोर्ट में पुनर्विचार याचिका दायर की थी, जिसे कोर्ट ने खारिज कर दिया। कोर्ट ने महादेवी के स्वास्थ्य को प्राथमिकता देते हुए वंतारा में रहने को सही ठहराया। हालांकि, कोल्हापुर से स्थानीय नेताओं और धार्मिक प्रमुखों की ओर से यह प्रयास जारी है कि Mahadevi Elephant From Vantara को वापस लाया जाए। वंतारा प्रशासन ने भी यह स्पष्ट किया है कि यदि अदालत अनुमति देती है, तो वे महादेवी को वापस भेजने के लिए तैयार हैं।

Mahadevi Elephant From Vantara: सरकार और जनता के प्रयास

कोल्हापुर से सांसदों और मंत्रियों ने वंतारा के अधिकारियों के साथ बातचीत की है। महाराष्ट्र सरकार भी सुप्रीम कोर्ट में नई याचिका दाखिल करने पर विचार कर रही है। इसी के तहत 2 लाख से अधिक लोगों ने राष्ट्रपति को पत्र लिखकर महादेवी को कोल्हापुर वापस लाने की मांग की है। यह पत्र नंदनी जैन मठ के प्रमुख द्वारा प्रमाणित किया गया है और स्थानीय प्रशासन के माध्यम से भेजा गया है।

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Mahadevi Elephant From Vantara: वर्तमान स्थिति

वर्तमान में महादेवी वंतारा में बेहतर चिकित्सा देखभाल और खुले वातावरण में रह रही है। वंतारा की देखरेख में उसके स्वास्थ्य में सुधार की प्रक्रिया जारी है। दूसरी ओर, कोल्हापुर में उसकी वापसी की मांग को लेकर धार्मिक भावनाएं और जन आंदोलन लगातार बढ़ रहे हैं। यह मामला अब केवल एक हाथी के स्थानांतरण का नहीं, बल्कि धार्मिक आस्था, कानूनी प्रक्रिया और पशु अधिकारों के बीच संतुलन साधने की चुनौती बन चुका है।

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निष्कर्ष:

Mahadevi Elephant From Vantara का विवाद केवल कानूनी आदेशों का पालन या पशु कल्याण तक सीमित नहीं है, यह समाज की आस्था, परंपराओं और आधुनिक पशु देखभाल के नजरिए से एक संवेदनशील मुद्दा बन गया है। वंतारा और जैन मठ, दोनों ही महादेवी का भला चाहते हैं, लेकिन सवाल यह है कि उसका ‘असली घर’ कौन सा है? यह संघर्ष तभी सुलझेगा जब सभी पक्ष मिलकर महादेवी के स्वास्थ्य और सम्मानजनक जीवन को प्राथमिकता देंगे।