Vantara Gajsevak Sammelan: हाथी सेवकों और महावतों के लिए देश का सबसे बड़ा प्रशिक्षण कार्यक्रम

🗓️ Published on: July 25, 2025 3:07 pm
Vantara Gajsevak Sammelan

Vantara Gajsevak Sammelan के रूप में भारत में हाथियों की देखभाल से जुड़े महावतों और गजसेवकों के लिए एक ऐतिहासिक पहल की शुरुआत हुई है। यह पांच दिवसीय राष्ट्रीय प्रशिक्षण कार्यक्रम गुजरात के जामनगर स्थित वंतारा प्रोजेक्ट के अंतर्गत आयोजित किया जा रहा है। इस विशेष सम्मेलन में देशभर से आए 100 से अधिक महावत और हाथी सेवक भाग ले रहे हैं।

इस आयोजन की खास बात यह है कि इसे भारत सरकार के पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय के अधीन प्रोजेक्ट एलीफेंट की साझेदारी में वंतारा द्वारा आयोजित किया गया है। इस सम्मेलन का उद्देश्य न केवल हाथियों की देखभाल के पारंपरिक अनुभवों को आधुनिक विज्ञान के साथ जोड़ना है, बल्कि गजसेवकों की क्षमता का विस्तार करना और देखभाल के मानकों को अंतरराष्ट्रीय स्तर तक पहुँचाना भी है।

आध्यात्मिक शुरुआत के साथ शुभारंभ

यह समागम सिर्फ प्रशिक्षण कार्यक्रम नहीं बल्कि गजसेवकों के समर्पण को सम्मान देने का एक अवसर भी है। कार्यक्रम की शुरुआत जामनगर स्थित राधे कृष्ण मंदिर में हुई, जहाँ एक भव्य महा आरती और पारंपरिक स्वागत समारोह के साथ प्रतिभागियों का अभिनंदन किया गया। वंतारा के सीईओ विवान करणी ने इसे “हाथी सेवकों को समर्पित श्रद्धांजलि” बताया।

उन्होंने कहा, “हमारा उद्देश्य पारंपरिक ज्ञान और आधुनिक विज्ञान को मिलाकर हाथियों के कल्याण के लिए एक मजबूत और संवेदनशील नींव बनाना है। भारत में हाथियों के संरक्षण का भविष्य केवल नीतियों और वनों पर नहीं, बल्कि गजसेवकों के समर्पण पर भी निर्भर करता है।”

प्रशिक्षण का अनोखा अनुभव

यह प्रशिक्षण सम्मेलन वंतारा के अत्याधुनिक हाथी देखभाल केंद्र पर आयोजित किया जा रहा है, जो राधे कृष्ण टेंपल एलिफेंट वेलफेयर ट्रस्ट द्वारा संचालित एक गैर-लाभकारी संस्था है। यहां गजसेवकों को हाथी सेवा से जुड़े व्यावहारिक अनुभवों से अवगत कराया जा रहा है।

प्रतिभागियों को विभिन्न समूहों में बाँटकर “गजवान”, “गजराज नगरी” और “गणेश नगरी” जैसे विशेष देखभाल क्षेत्रों में प्रशिक्षित किया जा रहा है। इन क्षेत्रों में उन्हें रोज़ाना के हाथी पालन कार्यों, पैर की देखभाल, स्नान प्रक्रिया, सकारात्मक व्यवहार प्रोत्साहन, मस्त अवस्था (Musth) प्रबंधन और पारंपरिक आयुर्वेदिक उपचारों की व्यवहारिक जानकारी दी जाती है।

विज्ञान और परंपरा का सुंदर मेल

इस प्रशिक्षण में केवल व्यावहारिक गतिविधियाँ ही नहीं, बल्कि विशेषज्ञों द्वारा संचालित वैज्ञानिक सत्र भी शामिल हैं। इन सत्रों में हाथियों की जैविक संरचना, तनाव की पहचान, सामान्य बीमारियाँ और आपातकालीन देखभाल जैसे महत्वपूर्ण विषयों पर जानकारी दी जाती है।

इसके अलावा, गजसेवकों के स्वास्थ्य, सुरक्षा और मानसिक कल्याण पर भी विशेष ध्यान दिया जा रहा है, जो हाथियों की दीर्घकालिक भलाई से सीधा जुड़ा हुआ है।

संवाद और सहयोग का राष्ट्रीय मंच

Vantara Gajsevak Sammelan केवल प्रशिक्षण का मंच नहीं, बल्कि एक ऐसा संवाद मंच भी है जहाँ देश के अलग-अलग हिस्सों से आए हाथी सेवक अपने अनुभव साझा करते हैं। यहां संरचित चर्चा सत्र और संवाद मंचों के माध्यम से न केवल नई बातें सीखने का अवसर मिलता है, बल्कि एक दूसरे की समस्याओं और समाधान का भी आदान-प्रदान होता है।

इस सम्मेलन का उद्देश्य एक ऐसा अखिल भारतीय समुदाय बनाना है जो हाथियों की सेवा और कल्याण के प्रति समान भावना और प्रतिबद्धता रखता हो।

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वंतारा: हाथी सेवा में समर्पित

वंतारा, अनंत अंबानी द्वारा शुरू की गई भारत की एक अग्रणी वन्यजीव बचाव और संरक्षण परियोजना है। यह संस्था 250 से अधिक बचाए गए हाथियों की सेवा कर रही है और इसमें 500 से भी अधिक प्रशिक्षित गजसेवक कार्यरत हैं, जिनमें से कई पहले संकटग्रस्त और हाशिए पर जी रहे थे।

वंतारा न केवल भारत में बल्कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी पशु कल्याण के मानकों को ऊँचाई तक ले जाने के लिए प्रतिबद्ध है। इसके तहत विभिन्न प्रशिक्षण और सहयोगात्मक कार्यक्रमों का आयोजन किया जा रहा है, जैसे कि—

  • कांगो से आए वन्यजीव अधिकारियों के लिए अंतरराष्ट्रीय प्रशिक्षण
  • अगस्त में आयोजित होने वाला कंजर्वेशन मेडिसिन पर राष्ट्रीय पशु चिकित्सा प्रशिक्षण
  • अक्टूबर में प्रस्तावित राष्ट्रीय चिड़ियाघर निदेशकों का सम्मेलन

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निष्कर्ष

Vantara Gajsevak Sammelan एक ऐसा ऐतिहासिक कदम है, जो न केवल गजसेवकों के जीवन में सकारात्मक परिवर्तन ला रहा है, बल्कि भारत में हाथी कल्याण की दिशा में एक सशक्त नींव भी रख रहा है। यह सम्मेलन दर्शाता है कि जब परंपरा और विज्ञान मिलकर काम करते हैं, तब न केवल हाथियों का भविष्य उज्जवल होता है, बल्कि उन्हें संभालने वालों का भी जीवन बेहतर बनता है।