vantara: नमस्ते दोस्तों आज मे आप के लिए लाया हु वनतारा की ओर से एक ओर बहुत ही अच्छी जानकारी यह जानकारी कृष्णा नाम के शेर की है, जिसको वनतारा एनिमल रेस्क्यू सेंटर द्वारा नया जीवन मिला है ओर कृष्णा आज वनतारा मे बहुत खुश है। कृष्णा की खुशी के पीछे वनतारा के सभी सदस्य की अहम भूमिका रही है।
डिब्बाबंद शिकार क्या है?
डिब्बाबंद शिकार (Canned Hunting) एक अमानवीय और क्रूर प्रथा है, जिसमें जंगली जानवरों—खासतौर पर शेरों—को बंद क्षेत्रों में शिकार के लिए पाला जाता है। ये क्षेत्र इतने सीमित होते हैं कि जानवरों को भागने का कोई वास्तविक अवसर नहीं मिलता। इस प्रक्रिया में जानवरों की स्वतंत्रता, स्वाभाविक जीवनशैली और अस्तित्व पर गहरा आघात होता है। डिब्बाबंद शिकार के लिए तैयार किए जाने वाले शेर अक्सर इन्हें बचपन से ही इंसानों के संपर्क में रखकर पालतू जैसा बना दिया जाता है, जिससे वे शिकारी से डर नहीं पाते। जब ये शेर बड़े हो जाते हैं, तब उन्हें मोटी रकम के बदले शिकार के लिए बेच दिया जाता है। यह पूरा उद्योग पशु क्रूरता से लाभ कमाने वाली एक मशीन बन चुका है।
कृष्णा की अंधकारमय जिंदगी से vantara ने बचाया
कृष्ण नामक शेर की कहानी इस क्रूरता के खिलाफ वनतारा एक नई आशा की किरण है। उसका जन्म भी इसी अमानवीय व्यवस्था के भीतर हुआ था, जहाँ उसका भविष्य केवल एक शिकारी की ट्रॉफी बनने तक सीमित था। लेकिन सौभाग्यवश, समय रहते उसे वनतारा एनिमल रेस्क्यू सेंटर ने इस नियति से बचा लिया गया।
अब कृष्ण वनतारा पशु सेवालाय मे सुरक्षित और स्वाभाविक वातावरण में रहता है जो उसके प्राकृतिक स्वभाव के अनुरूप है। उसे वह आज़ादी, सम्मान और देखभाल मिल रही है जिसकी वह हक़दार था। जैसे हर राजा को उसका सिंहासन मिलना चाहिए, वैसे ही कृष्ण को भी वनतारा एनिमल रेस्क्यू सेंटर मे अब अपना ‘सिंहासन’ मिल चुका है—एक जीवन जिसमें भय नहीं, केवल सम्मान और प्यार है।
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निष्कर्ष
डिब्बाबंद शिकार न केवल पशु अधिकारों का उल्लंघन है, बल्कि यह हमारे नैतिक मूल्यों पर भी सवाल खड़ा करता है। हमें ऐसी प्रथाओं के खिलाफ आवाज उठानी चाहिए वनतारा और उन संगठनों का समर्थन करना चाहिए जो इन जानवरों को एक नया जीवन देने में लगे हैं।