Vantara Animal Rescue केंद्र, जामनगर द्वारा हाल ही में एक बेहद संवेदनशील और मानवीय मिशन को अंजाम दिया गया, जिसने पूरे देश में सराहना बटोरी है। इस अभियान के तहत एक बीमार हथिनी और उसके बच्चे को न सिर्फ चिकित्सा सेवा दी गई, बल्कि उन्हें एक नया जीवन भी मिला। यह भावनात्मक घटना त्रिपुरा राज्य के उनाकोटी ज़िले की है, जहाँ वन्यजीव संरक्षण की इस मिसाल ने सभी का ध्यान खींचा।
कैसे शुरू हुआ पूरा रेस्क्यू ऑपरेशन?
त्रिपुरा के उनाकोटी जिले से वन्यजीव सहायता के लिए एक आपातकालीन कॉल मिलने के बाद Vantara Animal Rescue टीम ने बिना समय गंवाए एक विशेष रेस्क्यू ऑपरेशन की शुरुआत की। जामनगर स्थित वनतारा पशु पुनर्वास केंद्र से एक बड़ी टीम तैयार की गई जिसमें पशु एम्बुलेंस, चार विशेष वाहन और अनुभवी पशु चिकित्सकों की टीम शामिल थी।
यह पूरा काफिला लगभग 3500 किलोमीटर की दूरी तय करते हुए त्रिपुरा के उनाकोटी ज़िले तक पहुंचा। इस कार्य में वनतारा की तत्परता, तकनीकी तैयारी और जानवरों के प्रति समर्पण देखने लायक था।
ग्राउंड पर मिला स्थानीय समर्थन
रेस्क्यू ऑपरेशन के दौरान रिकॉर्ड किए गए वीडियो में एक महिला नजर आईं, जो बाद में गो ग्रीन एंड हेल्प स्ट्रे एनिमल्स नामक संगठन की महासचिव कुंतला सिन्हा के रूप में पहचानी गईं। उन्होंने अनंत अंबानी और Vantara Jamnagar की पूरी टीम को धन्यवाद देते हुए कहा कि, “हमें जब हाथी की हालत की जानकारी मिली, हमने तुरंत Vantara Animal Rescue से संपर्क किया। हमारे संपर्क करने के सिर्फ एक दिन के अंदर, Vantara की टीम और राधा कृष्ण मंदिर हाथी बचाव ट्रस्ट की टीम उनाकोटी पहुँच गई।”
यह बयान Vantara की तेज़ कार्रवाई और संवेदनशीलता को दर्शाता है।
त्रिपुरा में ही शुरू हुआ तत्काल उपचार
Vantara की टीम ने त्रिपुरा पहुंचते ही बीमार हथिनी और उसके बच्चे को तुरंत चिकित्सकीय सहायता देना शुरू किया। उस मादा हाथी का नाम प्रतिमा और उसके बच्चे का नाम माणिकलाल था। प्रतिमा के शरीर पर कई गंभीर घाव थे, आंखों में अंधापन था, और पूरे शरीर में अकड़न पाई गई। माणिकलाल, जो अभी बच्चा है, बेहद कुपोषित और कमजोर अवस्था में मिला।
24 घंटे में तय की गई 3500 किलोमीटर की दूरी
जानवरों की बिगड़ती हालत को देखते हुए Vantara Animal Rescue की टीम ने दिन-रात का सफर कर महज़ 24 घंटे में 3500 किलोमीटर की दूरी तय कर ली। इस मिशन में तकनीकी टीम, ड्राइवर, डॉक्टर, नर्सिंग स्टाफ और बचावकर्मी शामिल थे।
यह दूरी केवल भौगोलिक नहीं थी, बल्कि एक नई उम्मीद, जीवन और संरक्षण की ओर बढ़ाया गया कदम था।
कैलाशहर में रखा गया अस्थायी पुनर्वास केंद्र
जामनगर ले जाने से पहले प्रतिमा और माणिकलाल को त्रिपुरा के कैलाशहर में अस्थायी रूप से रखा गया, जहां प्राथमिक उपचार और निगरानी की प्रक्रिया पूरी की गई। इसके बाद उन्हें Vantara Animal Rescue Centre, Jamnagar में स्थानांतरित किया गया जहाँ उनकी गहन चिकित्सा और पोषण संबंधी जरूरतों को पूरा किया जा रहा है।
अवैध स्वामित्व और वन्यजीव कानून का उल्लंघन
जांच में यह बात भी सामने आई कि प्रतिमा और उसके बच्चे को बिना किसी वैध स्वामित्व प्रमाणपत्र के अवैध रूप से पाला जा रहा था, जो भारत के वन्यजीव संरक्षण अधिनियम का सीधा उल्लंघन है। Vantara की टीम ने इस पर भी ध्यान दिया और स्थानीय प्रशासन के साथ मिलकर आवश्यक कार्रवाई सुनिश्चित की।
Vantara Animal Rescue की भूमिका और अनंत अंबानी का विज़न
इस ऑपरेशन ने यह साबित कर दिया कि Vantara Animal Rescue, केवल एक पशु पुनर्वास केंद्र नहीं, बल्कि एक जीवनदायिनी संस्था है। अनंत अंबानी द्वारा स्थापित यह पहल आज भारत ही नहीं, बल्कि वैश्विक स्तर पर भी सराहना प्राप्त कर रही है। Vantara की टीम की विशेषज्ञता, सेवा भावना और समर्पण ने एक बार फिर यह दिखा दिया कि जब किसी मिशन में दिल और संवेदना जुड़ी हो, तो कोई दूरी, कोई चुनौती बड़ी नहीं होती।
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बचाव ओर पुनर्वास के प्रयासों को दिखाता वीडियो हुआ वाइरल
Hats off to #AnantAmbani who acted promptly to save life of elephant and sent #Vantara medical team within 24 hours to Tripura.#Jamnagar #animallove pic.twitter.com/nvva96W6wm
— AkashMAmbani (@AkashMAmbani) May 12, 2024
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निष्कर्ष
Vantara Animal Rescue द्वारा प्रतिमा और माणिकलाल को दिया गया नया जीवन सिर्फ एक समाचार नहीं, बल्कि यह मानवीय करुणा और संरक्षण के प्रति समर्पण की एक प्रेरणादायक कहानी है। अनंत अंबानी की इस पहल ने भारत के वन्यजीव संरक्षण को एक नई दिशा दी है। ऐसे प्रयास आने वाले समय में न सिर्फ जानवरों की जान बचाएंगे, बल्कि इंसानों में भी संवेदनशीलता और जागरूकता बढ़ाएंगे।