Vantara, जो कि Reliance Foundation का गुजरात के जामनगर में चलाया जा रहा पशु बचाव और पुनर्वास प्रोजेक्ट है, उसे सुप्रीम कोर्ट ने बड़ी राहत दी है। अदालत ने स्पेशल इंवेस्टिगेशन टीम (SIT) की रिपोर्ट की समीक्षा करने के बाद कहा कि Vantara पूरी तरह से नियमों के अनुसार काम कर रहा है और उस पर लगाए गए सभी आरोप निराधार हैं।
यह फैसला न सिर्फ Vantara की छवि को मजबूत करता है बल्कि यह भी दिखाता है कि भारत में वन्यजीव संरक्षण और पशु कल्याण को लेकर गंभीर और सकारात्मक कदम उठाए जा रहे हैं। आज Vantara में 2,000 से अधिक जानवर सुरक्षित जीवन जी रहे हैं, जो पहले अमानवीय स्थितियों में रखे जाते थे।
सुप्रीम कोर्ट का फैसला
Vantara पर विवाद तब शुरू हुआ जब कुछ NGO, वन्यजीव संगठनों और मीडिया रिपोर्ट्स में आरोप लगे कि यहां हाथियों और अन्य जानवरों को अवैध तरीके से लाया गया है और उन्हें खराब हालात में रखा गया है। कुछ आरोपों में वित्तीय गड़बड़ी की बात भी कही गई थी।
इन आरोपों की जांच के लिए सुप्रीम कोर्ट ने 25 अगस्त को एक SIT का गठन किया। कई हफ्तों की जांच और दस्तावेज़ों की समीक्षा के बाद SIT ने अपनी रिपोर्ट अदालत में सौंपी।
जस्टिस पंकज मित्तल और जस्टिस पी. बी. वराले की बेंच ने रिपोर्ट का अध्ययन करने के बाद कहा:
“जानवरों का अधिग्रहण नियमों के अनुसार किया गया है। Vantara पूरी तरह से कानून का पालन करता है, इसलिए इसे झूठे आरोपों से बदनाम नहीं किया जाना चाहिए।”
इस टिप्पणी ने साफ कर दिया कि Vantara पर लगाए गए आरोप बेबुनियाद थे और परियोजना को किसी भी तरह की कानूनी चूक का दोषी नहीं ठहराया जा सकता।
आधारहीन आरोपों पर कोर्ट की सख्ती
सुप्रीम कोर्ट ने पहले भी सी. आर. जया सुखिन की याचिका खारिज कर दी थी, जिसमें उन्होंने मांग की थी कि एक निगरानी समिति बनाई जाए और बंदी हाथियों को उनके मालिकों को लौटाया जाए।
कोर्ट ने कहा कि ऐसे सामान्य और अस्पष्ट दावों को स्वीकार नहीं किया जा सकता, खासकर तब जब जानवरों का अधिग्रहण कानूनी तौर पर किया गया हो।
Vantara – बचाए गए वन्यजीवों का सुरक्षित घर
Vantara की स्थापना अनंत अंबानी (डायरेक्टर, Reliance Industries Limited और Reliance Foundation) ने की थी। यह प्रोजेक्ट Reliance के जामनगर रिफाइनरी कॉम्प्लेक्स के ग्रीन बेल्ट में करीब 3,000 एकड़ क्षेत्र में फैला हुआ है। यह दुनिया के सबसे बड़े और आधुनिक वन्यजीव बचाव और पुनर्वास प्रोजेक्ट्स में से एक माना जाता है।
Vantara की खासियतें:
- हाथियों का विशेष केंद्र – आधुनिक शेल्टर, हाइड्रोथेरेपी पूल और आर्थराइटिस जैसी बीमारियों के इलाज के लिए खास हाथी जैकूज़ी।
- रेस्क्यू और रिहैबिलिटेशन सेंटर – 650 एकड़ में फैला यह केंद्र सर्कस, खराब चिड़ियाघरों और अवैध कैद से बचाए गए जानवरों को नया जीवन देता है।
- उन्नत पशु चिकित्सा सुविधा – 24 घंटे प्रशिक्षित डॉक्टर और मेडिकल सुविधाएं।
- प्राकृतिक आवास – बड़े-बड़े खुले क्षेत्र, जहां जानवर अपने प्राकृतिक परिवेश जैसा जीवन जी सकते हैं।
आज Vantara में हैं:
- 200+ हाथी
- 300+ बड़े बिल्ली प्रजाति के जानवर (शेर, बाघ, तेंदुआ, जगुआर)
- 300+ शाकाहारी प्रजाति (हिरण और अन्य)
- 1,200+ सरीसृप (साँप, मगरमच्छ, कछुए)
ये सभी जानवर अब सम्मानजनक और सुरक्षित जीवन जी रहे हैं।
Vantara का योगदान
Vantara सिर्फ एक पशु संरक्षण केंद्र नहीं है, बल्कि यह भारत में वन्यजीव संरक्षण की नई दिशा को दर्शाता है।
- उत्पीड़ित जानवरों की मदद – अवैध व्यापार और खराब देखभाल से बचाए गए जानवरों को नया जीवन।
- आधुनिक देखभाल – चिकित्सा और वैज्ञानिक तरीकों से लंबे समय तक स्वास्थ्य सुनिश्चित करना।
- वन्यजीव संरक्षण – वैश्विक विशेषज्ञों के सहयोग से विलुप्त होती प्रजातियों का संरक्षण।
- जागरूकता – लोगों को पशु कल्याण और सह-अस्तित्व की दिशा में प्रेरित करना।
सुप्रीम कोर्ट का फैसला क्यों अहम है?
यह फैसला Vantara के लिए ही नहीं बल्कि पूरे देश के लिए महत्वपूर्ण है। अदालत ने दिखा दिया कि बिना सबूत लगाए गए आरोपों से किसी भी बड़े संरक्षण प्रोजेक्ट की छवि खराब नहीं की जा सकती।
इससे कई सकारात्मक संदेश मिलते हैं:
- प्रोजेक्ट की साख बची
- निजी क्षेत्र को प्रोत्साहन मिला कि वे भी संरक्षण में निवेश करें
- साक्ष्य-आधारित न्याय की अहमियत साबित हुई
आरोप बनाम सच्चाई
आरोप | SIT की रिपोर्ट | सुप्रीम कोर्ट का रुख |
---|---|---|
हाथियों और अन्य जानवरों की अवैध खरीद | सभी अधिग्रहण कानूनी प्रक्रिया से | कोई अवैधता नहीं |
खराब रहने की स्थिति | विश्व-स्तरीय सुविधा, आधुनिक चिकित्सा और बड़े खुले क्षेत्र | आरोप निराधार |
वित्तीय गड़बड़ी | कोई सबूत नहीं | प्रोजेक्ट पूर्णतः पारदर्शी |
हाथियों को पूर्व मालिकों को लौटाना | कानूनी प्रक्रिया से बचाव; लौटाने का कोई आधार नहीं | याचिका खारिज |
भविष्य के लिए एक मिसाल
सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले के बाद Vantara अब एक मॉडल प्रोजेक्ट बन गया है, जिससे भविष्य में ऐसे कई और वन्यजीव संरक्षण केंद्रों की राह आसान होगी। यह दिखाता है कि उद्योग जगत और निजी संस्थान भी यदि ईमानदारी से काम करें तो वन्यजीव संरक्षण में बड़ी भूमिका निभा सकते हैं।
निष्कर्ष
सुप्रीम कोर्ट का यह फैसला न केवल Vantara की छवि को मजबूत करता है बल्कि यह भी साबित करता है कि भारत वन्यजीव संरक्षण को लेकर प्रतिबद्ध है। 2,000 से अधिक जानवरों को नया जीवन देने वाला यह प्रोजेक्ट आज विश्व स्तर पर भी सराहा जा रहा है।
Vantara एक साधारण प्रोजेक्ट नहीं, बल्कि यह करुणा, आधुनिकता और प्रकृति के प्रति जिम्मेदारी का प्रतीक है। अदालत का यह निर्णय भारत में वन्यजीव कल्याण की दिशा में एक ऐतिहासिक मील का पत्थर है।