MP govt to partner with Vantara — मध्यप्रदेश सरकार जल्द ही गुजरात के जामनगर स्थित वन्यजीव बचाव केंद्र ‘वनतारा’ के साथ एक ऐतिहासिक समझौते पर हस्ताक्षर करने जा रही है। इस साझेदारी का उद्देश्य राज्य में बाघों की जीन मैपिंग करना है, जिससे बाघों की मौत की जांच की जा सके, खासकर तब जब वो इंसानों से संघर्ष में मारे जाते हैं। अधिकारियों के अनुसार, यह पहल न केवल संरक्षण के क्षेत्र में क्रांतिकारी साबित होगी, बल्कि वैज्ञानिक स्तर पर भी नई संभावनाएं खोलेगी।
वनतारा देगा वैज्ञानिक सहयोग
मध्यप्रदेश के अतिरिक्त मुख्य सचिव (वन) अशोक वर्नवाल ने जानकारी दी कि वनतारा अपने वैज्ञानिक विशेषज्ञता के साथ इस प्रोजेक्ट में सहयोग करेगा। वर्नवाल ने बताया, “हम विश्व स्तर के बाघ विशेषज्ञों और वैज्ञानिकों की मदद से बाघों की जीन मैपिंग का एक व्यापक डेटाबेस तैयार करेंगे, जो संरक्षण, प्रबंधन और अनुसंधान के लिए अत्यंत उपयोगी सिद्ध होगा।”
उज्जैन और जबलपुर में बनेंगे रेस्क्यू सेंटर
मुख्यमंत्री मोहन यादव के निर्देश पर हाल ही में वर्नवाल के नेतृत्व में वन विभाग के एक दल ने वनतारा का दौरा किया। इस यात्रा का उद्देश्य उज्जैन और जबलपुर में वन्यजीव बचाव केंद्र स्थापित करने की संभावनाओं का पता लगाना था। इस संबंध में मध्यप्रदेश वन विभाग को केंद्रीय चिड़ियाघर प्राधिकरण (CZA) से सैद्धांतिक मंजूरी भी मिल चुकी है। वर्नवाल ने बताया कि जैसे ही CZA और सुप्रीम कोर्ट से औपचारिक अनुमति प्राप्त होगी, कार्यस्थल पर निर्माण कार्य शुरू कर दिया जाएगा।
बढ़ती बाघों की संख्या के साथ बढ़ा संघर्ष
साल 2024 की टाइगर गणना के अनुसार, मध्यप्रदेश में अब कुल 785 बाघ हैं, जबकि 2019 में यह संख्या 526 थी। इस वृद्धि के साथ ही इंसान और बाघों के बीच संघर्ष की घटनाएं भी 40% तक बढ़ गई हैं। एक वरिष्ठ भारतीय वन सेवा (IFS) अधिकारी के अनुसार, वर्तमान में किसी भी राज्य के पास ऐसी तकनीक नहीं है जिससे किसी भी संघर्ष के बाद संबंधित बाघ की पहचान की जा सके।
कैमरा ट्रैप से पहचान में चूक की संभावना
अधिकतर राज्यों में आज भी कैमरा ट्रैप तकनीक का इस्तेमाल किया जाता है, जिससे यह पता लगाया जाता है कि क्या वही बाघ वापस शिकार स्थल पर लौटा है या नहीं। लेकिन इसमें गलती की संभावना बनी रहती है। इसी कारण जीन मैपिंग की आवश्यकता महसूस की गई है, जो अधिक सटीक परिणाम देगी।
डीएनए से बाघ की सटीक पहचान
IFS अधिकारी ने बताया कि किसी हमले के बाद मृतक के शरीर पर पाए गए लार के नमूने को जीन डेटाबेस से मिलाकर यह निर्धारित किया जा सकेगा कि हमला किस बाघ ने किया था। यह न केवल सटीकता लाएगा, बल्कि निर्दोष बाघों को पकड़ने की गलतियों से भी बचाव होगा।
अन्य राज्यों को भेजे जाएंगे बाघ
एक अन्य अधिकारी ने जानकारी दी कि जीन मैपिंग का एक और फायदा यह होगा कि इससे अन्य राज्यों में भेजे गए बाघों को ट्रैक करना आसान होगा। मध्यप्रदेश सरकार की योजना है कि ओडिशा, राजस्थान और उत्तर प्रदेश को बाघ भेजे जाएं ताकि उनके जीन पूल को बेहतर बनाया जा सके और इनब्रिडिंग की समस्या को रोका जा सके।
जीन मैपिंग: संरक्षण के लिए जरूरी
विशेषज्ञों के अनुसार, जीन मैपिंग से यह समझने में सहायता मिलती है कि विभिन्न बाघ आबादी के बीच आनुवंशिक विविधता कितनी है और उनका वंशक्रम क्या है। इससे वैज्ञानिकों को यह सुनिश्चित करने में मदद मिलती है कि बाघों की आबादी स्वस्थ और विविध बनी रहे, जो दीर्घकालीन संरक्षण के लिए अनिवार्य है।
कुछ विशेषज्ञों ने उठाए सवाल
हालांकि इस परियोजना को लेकर कुछ विशेषज्ञों ने चिंता भी जताई है। मुंबई स्थित एक बड़े कैट विशेषज्ञ, जिन्होंने नाम नहीं बताने की शर्त पर कहा, “यदि यह परियोजना सफल होती है तो यह एक मील का पत्थर होगा। लेकिन यह कैसे संभव होगा कि सभी बाघों की जीन मैपिंग की जाए, जब हर साल 50-60 बाघ मरते हैं और लगभग उतने ही नए जन्म लेते हैं। इस डेटा को हर साल अपडेट करना बहुत कठिन कार्य होगा।”
स्थानीय एक्टिविस्ट्स की राय
मध्यप्रदेश के वन्यजीव कार्यकर्ता अजय दुबे ने इस परियोजना पर सवाल उठाते हुए कहा, “एक बचाव केंद्र या चिड़ियाघर जंगली बाघों की जीन मैपिंग में कैसे मदद करेगा? यह परियोजना काफी खर्चीली होगी। हमारे पास वन्यजीव संस्थान (WII) और उसके योग्य वैज्ञानिक पहले से हैं, तो क्यों न उनकी मदद ली जाए?”
यह भी पढ़े: मध्य प्रदेश में वंतारा जैसी वन्यजीव बचाव सुविधा की योजना
वनतारा की ओर से आधिकारिक प्रतिक्रिया बाकी
वनतारा वाइल्डलाइफ रेस्क्यू सेंटर के अधिकारियों ने इस विषय पर अभी कोई टिप्पणी नहीं दी है। उन्होंने बस इतना कहा है कि जैसे ही इस साझेदारी को लेकर औपचारिक घोषणा (MoU) होगी, वे सार्वजनिक रूप से अपनी प्रतिक्रिया देंगे।
यह भी पढ़े: Naib Singh Saini, Manohar Lal visited Vantara: वन्यजीव संरक्षण का अद्भुत अनुभव
निष्कर्ष:MP govt to partner with Vantara
MP govt to partner with Vantara यह कदम न केवल मध्यप्रदेश में टाइगर कंजर्वेशन के क्षेत्र में नई क्रांति लाएगा, बल्कि पूरे देश को एक नई दिशा दिखाएगा। बाघों की जीन मैपिंग, आधुनिक तकनीक और अंतरराष्ट्रीय सहयोग से न केवल वन्यजीवों का बेहतर प्रबंधन संभव होगा बल्कि इंसान और बाघों के बीच हो रहे संघर्षों पर भी प्रभावी नियंत्रण पाया जा सकेगा।