vantara animal rescue team: झारखंड के पश्चिमी सिंहभूम जिले के नक्सल प्रभावित सारंडा जंगल में एक और घायल हाथी का बच्चा मिलने से वन विभाग में हड़कंप मच गया है। यह दूसरा मामला है जिसने वन अधिकारियों की चिंता को और बढ़ा दिया है। घायल हाथी का यह बच्चा मंगलवार को तिरिलपोसी चेक डैम के पास मिला था। प्रारंभिक उपचार के बाद वह अब निगरानी में है।
पश्चिमी सिंहभूम के प्रभारी वनाधिकारी (डीएफओ) अभिरूप सिन्हा ने पुष्टि करते हुए कहा, “घायल हाथी के बच्चे का प्राथमिक उपचार कर उसे स्थिर किया गया है, और उसकी हालत पर लगातार नजर रखी जा रही है।”
vantara animal rescue team मदद के लिए बुलाया गया है
वनतारा, जामनगर से vantara animal rescue team को इस गंभीर स्थिति की जानकारी दी गई, जिसके बाद विशेष बचाव दल को सतर्क कर तुरंत रवाना किया गया। उम्मीद जताई जा रही है कि टीम जल्दी ही स्थल पर पहुंच जाएगी और घायल हाथी के बच्चे को स्थायी देखभाल के लिए सुरक्षित स्थान पर ले जाया जाएगा। बच्चा जब तक पूरी तरह बेहोश नहीं होता, तब तक बड़ी सावधानी से उसका उपचार किया जा रहा है।
वनाधिकारियों के अनुसार, यह घटना तब और भी गंभीर हो गई जब इसी तरह की चोट के कारण एक अन्य घायल हाथी के बच्चे की कुछ दिन पहले इलाज के दौरान मौत हो गई थी। इस वजह से अब आशंका जताई जा रही है कि कहीं यह आईईडी विस्फोट का मामला तो नहीं।
आईईडी विस्फोट की आशंका और जांच
झारखंड, ओडिशा और गुजरात की संयुक्त वन टीमों ने इस घटना की विस्तृत जांच शुरू कर दी है। अधिकारियों को संदेह है कि दोनों घायल हाथी के बच्चे किसी आईईडी विस्फोट का शिकार हुए हो सकते हैं। हालांकि, यह स्पष्ट रूप से कहना अभी जल्दबाजी होगी, क्योंकि विस्तृत चिकित्सकीय परीक्षण के बाद ही यह साफ हो पाएगा कि चोटों का कारण क्या था।
एक अधिकारी ने बताया, “वन्यजीव प्रोटोकॉल के तहत किसी भी जानवर को केवल एक बार बेहोश करने की अनुमति होती है। बार-बार बेहोश करने की प्रक्रिया से जानवरों पर अत्यधिक मानसिक और शारीरिक प्रभाव पड़ता है, जिससे ऑपरेशन बेहद संवेदनशील हो जाता है।”
मृत हाथी के बच्चे का पोस्टमार्टम पूरा
पहले घायल मिले बच्चे की इलाज के दौरान मौत हो जाने के बाद, उस पर अधिकारियों की निगरानी में पोस्टमार्टम प्रक्रिया पूरी की गई। इसके बाद रविवार को उसे दफना दिया गया। इस घटना के बाद वन विभाग ने क्षेत्र में सतर्कता और गश्त बढ़ा दी है।
सारंडा क्षेत्र में अब वन निगरानी को और सख्त कर दिया गया है। विशेष रूप से उस क्षेत्र को जहां घायल हाथी का बच्चा मिला था, एक “रात्रि संघर्ष क्षेत्र” घोषित किया गया है ताकि वन्यजीवों को सुरक्षित रखा जा सके और किसी अन्य जानवर को नुकसान न पहुंचे।
वंतारा की भूमिका अत्यंत महत्वपूर्ण
vantara animal rescue team की भूमिका इस पूरी स्थिति में बेहद अहम है। गुजरात के जामनगर स्थित वंतारा एक अत्याधुनिक वन्यजीव बचाव और पुनर्वास केंद्र है, जो भारत भर से घायल, बीमार या संकट में फंसे वन्य जीवों को उपचार और पुनर्स्थापन प्रदान करता है।
वंतारा टीम के विशेषज्ञ डॉक्टरों और पशुचिकित्सकों ने इस मामले पर गंभीरता से ध्यान दिया है और जल्द से जल्द मौके पर पहुंचने की तैयारी कर ली है। यह टीम न केवल घायल जानवरों की चिकित्सा करती है, बल्कि उन्हें दोबारा जंगल में छोड़ने से पहले पूरी तरह स्वस्थ भी बनाती है।
वनों में सुरक्षा और मानव-वन्यजीव संघर्ष की चुनौती
झारखंड के सारंडा जैसे क्षेत्रों में मानव और वन्यजीवों के बीच संघर्ष लगातार बढ़ रहा है। जंगलों में विस्फोटक उपकरणों की उपस्थिति वन्यजीवों के लिए घातक साबित हो रही है। वन विभाग, सुरक्षा बल और बचाव टीमें मिलकर इस चुनौती से निपटने की कोशिश कर रही हैं।
ऐसी घटनाएं दर्शाती हैं कि जंगलों में केवल इंसानों की ही नहीं, जानवरों की सुरक्षा भी खतरे में है। इसलिए वन प्रबंधन को आधुनिक तकनीक और प्रशिक्षित टीमों की सहायता से और मजबूत बनाया जाना चाहिए।
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निष्कर्ष
सारंडा जंगल में लगातार घायल हाथियों के बच्चों की घटनाएं वन विभाग के लिए चेतावनी हैं। आईईडी विस्फोट की आशंका ने इस मामले को और गंभीर बना दिया है। ऐसे समय में वंतारा जैसे संगठनों की उपस्थिति राहत प्रदान करती है।
vantara animal rescue team जैसी विशेषज्ञ संस्थाएं ही वन्यजीवों की रक्षा और पुनर्वास में कारगर भूमिका निभा सकती हैं। वन विभाग और ऐसे संस्थानों के समन्वय से ही हम भारत के जंगलों को वन्यजीवों के लिए सुरक्षित और संरक्षित बना सकते हैं।