Return of vultures to India : मध्यप्रदेश, जिसे अब ‘गिद्ध राज्य’ भी कहा जा सकता है, ने हाल ही में एक ऐतिहासिक कदम उठाया है। राज्य सरकार और वन विभाग ने छह बंदी-नस्ल के भारतीय गिद्धों को जंगल में जीपीएस टैग के साथ सफलतापूर्वक रिहा किया है। यह भारत में पहली बार हुआ है और गिद्धों के संरक्षण की दिशा में यह एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर माना जा रहा है।
गिद्धों की घटती संख्या और कारण
भारत में गिद्धों की संख्या में 1990 के दशक के बाद 90% से अधिक की गिरावट देखी गई है। इसके पीछे कई मुख्य कारण हैं:
- डाइक्लोफेनाक जैसी विषैली पशु-औषधियों का उपयोग
- विद्युत प्रवाह और हाई वोल्टेज तारों से दुर्घटनाएं
- प्राकृतिक आवास का नष्ट होना
- भोजन के सुरक्षित स्रोतों की कमी
गिद्ध पारिस्थितिकी तंत्र में सफाईकर्मी की भूमिका निभाते हैं। उनके लुप्त होने से मृत पशुओं के सड़ने से बीमारियां फैलने का खतरा बढ़ जाता है।
गिद्धों का संरक्षण: मध्यप्रदेश की पहल
2014 में भोपाल के केरवा डैम के पास गिद्ध संरक्षण और प्रजनन केंद्र की स्थापना की गई, जो बॉम्बे नेचुरल हिस्ट्री सोसाइटी (BNHS) और मध्यप्रदेश वन विभाग की संयुक्त परियोजना है।
इस केंद्र में अब तक 85 से अधिक बंदी-नस्ल के भारतीय निवासी गिद्धों को पाला गया है। इनकी देखरेख, प्रजनन और तैयार होने के बाद इन्हें अब जंगल में छोड़ा जा रहा है।
Return of vultures to India |पहली बार जंगल में छोड़े गए GPS टैग वाले गिद्ध

16 अप्रैल 2025 को रायसेन जिले के हलाली डैम क्षेत्र में छह गिद्धों को छोड़ा गया:
- प्रजातियां: दो सफेद-पूंछ वाले गिद्ध और चार लंबी-चोंच वाले गिद्ध
- लिंग अनुपात: तीन नर, तीन मादा
- उम्र: 4 से 8 वर्ष
- विशेषता: सभी गिद्धों को GPS टैग किया गया है ताकि उनकी गतिविधियों पर नजर रखी जा सके
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वन विभाग ने उनके व्यवहार, गतिशीलता और अन्य जंगली गिद्धों के साथ सामंजस्य की निगरानी के लिए 24×7 ट्रैकिंग व्यवस्था की है।
स्थानीय भागीदारी और जागरूकता
गांवों में पर्चे बांटे गए हैं, जिनमें गिद्धों की तस्वीरें और GPS टैग की जानकारी दी गई है। ग्रामीणों से अनुरोध किया गया है कि यदि कोई गिद्ध घायल मिले या एक स्थान पर ज्यादा समय तक रुका रहे तो तुरंत वन विभाग को सूचित करें।
गिद्ध गणना और सबसे अधिक संख्या वाला क्षेत्र
फरवरी 2025 में मध्यप्रदेश में हुई शीतकालीन गिद्ध गणना के अनुसार:
- विंध्य क्षेत्र के सतना संभाग में सर्वाधिक 1221 गिद्ध पाए गए
- भोपाल-विदिशा-रायसेन क्षेत्र भी गिद्धों के पसंदीदा आवासों में से एक है
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यूरेशियन ग्रिफॉन गिद्ध की अद्भुत यात्रा
जनवरी में विंध्य क्षेत्र से बचाया गया एक यूरेशियन ग्रिफॉन नर गिद्ध, जिसे दो महीने तक संरक्षण केंद्र में रखने के बाद 29 मार्च को छोड़ा गया, अब तक 2500 किमी से अधिक उड़ान भर चुका है, और वर्तमान में अफगानिस्तान-उज़बेकिस्तान सीमा के पास ट्रैक किया गया है।
भविष्य की दिशा
मध्यप्रदेश में गिद्धों के संरक्षण को लेकर भविष्य की योजनाएं स्पष्ट हैं:
- और अधिक सुरक्षित क्षेत्रों की पहचान
- संवेदनशील दवाओं पर प्रतिबंध
- गौशालाओं और शव डंपिंग स्थलों का विकास
- स्थानीय लोगों की भागीदारी और जागरूकता अभियान
गांधीसागर वन्यजीव अभयारण्य जैसे क्षेत्रों में गिद्धों की संख्या में वृद्धि यह दर्शाती है कि संरक्षण के प्रयास सही दिशा में जा रहे हैं।
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निष्कर्ष
मध्यप्रदेश द्वारा की गई गिद्धों की पहली पुनःरिहाई न केवल भारत बल्कि वैश्विक स्तर पर एक प्रेरणादायक पहल है। जब सरकार, वैज्ञानिक और स्थानीय समुदाय मिलकर काम करते हैं, तो संकट में आई प्रजातियों को बचाया जा सकता है।