Sirumugai wildlife rescue center : तमिलनाडु के पहले वन्यजीव पुनर्वास केंद्र का काम दो महीने में पूरा होने की आशंका

📝 Last updated on: April 23, 2025 3:16 pm
Sirumugai wildlife rescue center

Sirumugai wildlife rescue center : तमिलनाडु के कोयंबटूर जिले के सिरुमुगाई वन क्षेत्र में स्थित पेथिकुट्टई गाँव अब एक ऐतिहासिक पहल का साक्षी बनने जा रहा है। यहाँ राज्य का पहला वन्यजीव बचाव, उपचार और पुनर्वास केंद्र तेज़ी से आकार ले रहा है और अगले दो महीनों में इसके पूर्ण होने की उम्मीद है।

इस महत्त्वपूर्ण परियोजना की घोषणा मुख्यमंत्री एम.के. स्टालिन ने 3 सितंबर 2021 को तमिलनाडु विधानसभा में की थी। इसके बाद राज्य सरकार ने विस्तृत परियोजना रिपोर्ट (DPR) तैयार करने के लिए ₹4 लाख की स्वीकृति दी और कुल अनुमानित लागत ₹19.5 करोड़ निर्धारित की गई।

Sirumugai wildlife rescue center | परियोजना की मुख्य बातें

बिंदुविवरण
स्थानपेथिकुट्टई गाँव, सिरुमुगाई वन क्षेत्र, कोयंबटूर
घोषणा3 सितंबर 2021 को मुख्यमंत्री एम.के. स्टालिन द्वारा
DPR (प्रारंभिक रिपोर्ट) के लिए राशि₹4 लाख
अनुमानित कुल लागत₹19.5 करोड़
निर्माण स्थिति2025 तक पूर्ण होने की उम्मीद
उद्देश्यघायल, बीमार व संकट में फंसे वन्यजीवों की मदद

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53 हेक्टेयर में फैला अत्याधुनिक वन्यजीव केंद्र

Sirumugai wildlife rescue center

वन विभाग के अनुसार, यह Sirumugai forest rescue centre 53 हेक्टेयर क्षेत्र में फैला होगा और इसमें अत्याधुनिक सुविधाएँ होंगी जैसे:

  • पशु चिकित्सा केंद्र और उपचार कक्ष
  • पोस्टमार्टम रूम
  • बाघ और तेंदुए जैसे मांसाहारी जानवरों के लिए विशेष बाड़े
  • हाथियों की देखभाल हेतु अलग इकाई
  • स्टाफ और डॉक्टरों के लिए विश्राम स्थल

इस केंद्र की परिकल्पना कुछ इस प्रकार की गई है कि उसका मुख्य भाग हरे-भरे वातावरण से घिरा रहेगा, ताकि घायल जानवरों को जंगल जैसा नैसर्गिक अनुभव मिले और उन्हें मानव बस्ती में होने का आभास न हो।

प्राकृतिक आपदाओं व दुर्घटनाओं के बाद बनेगा जीवनरक्षक केंद्र

जब यह Tamil Nadu animal rescue center पूरी तरह कार्यान्वित होगा, तब हाथी, भालू, तेंदुआ, सांभर, मोर, सांप जैसे घायल वन्यजीवों को यहाँ लाकर उपचार दिया जाएगा और फिर उन्हें पुनः जंगल में छोड़ा जाएगा।

वर्तमान में ऐसे जानवरों का इलाज वन विभाग द्वारा किया जाता है और फिर उन्हें वंडलूर चिड़ियाघर या कोझिकमुथी हाथी शिविर भेजा जाता है।

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“समर्पित चिकित्सा सुविधा की थी वर्षों से आवश्यकता” – डीएफओ जयाराज

कोयंबटूर वन प्रभाग के जिला वन अधिकारी (DFO) एन. जयाराज ने बताया:

“वन्यजीवों का उपचार और पुनर्वास हमारी प्राथमिक जिम्मेदारियों में से एक है। मौजूदा सुविधाएं अपर्याप्त हैं और आधुनिक मानकों पर खरी नहीं उतरतीं। पेथिकुट्टई केंद्र की स्थापना एक अत्यंत आवश्यक और बहुप्रतीक्षित कदम है।”

यह केंद्र विशेष रूप से तमिलनाडु के पश्चिमी घाट क्षेत्र और कोयंबटूर वन प्रभाग में बचाए गए जानवरों की चिकित्सा और पुनर्वास के लिए उपयोगी सिद्ध होगा।

4 वर्षों में 4,200+ वन्यजीवों का सफल बचाव

डीएफओ के अनुसार, पिछले 4 वर्षों में 4,243 वन्यजीवों, पक्षियों और सरीसृपों को बचाया गया है, जिनमें 3 हाथी और 6 तेंदुए शामिल हैं।

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यह क्षेत्र कोयंबटूर और इरोड जिलों में फैला है और इसकी सीमा नीलगिरी की तलहटी से लेकर केरल सीमा तक जाती है। 69,347 हेक्टेयर में फैला यह जंगल 350 किलोमीटर लंबी सीमा से कई राजस्व गाँवों से जुड़ा है, जो अक्सर मानव-वन्यजीव संघर्ष के केंद्र बनते हैं।

FAQ

Where is Tamil Nadu’s first wildlife rescue and rehabilitation centre being built?

It is being built in Pethikuttai village, located in the Sirumugai forest range of Coimbatore district, Tamil Nadu.

What is the main purpose of this wildlife rescue centre?

The centre is designed to rescue, treat, and rehabilitate injured or distressed wild animals and then release them back into their natural habitat.

What facilities will the Sirumugai Wildlife Rescue Centre offer?

It will have a veterinary hospital, treatment and quarantine zones, post-mortem room, enclosures for large carnivores, an elephant care unit, and rest areas for medical staff.

When was the project officially announced?

Tamil Nadu Chief Minister M.K. Stalin announced the project on 3rd September 2021 in the State Assembly.

How large is the Pethikuttai Wildlife Centre?

The centre will be spread across 53 hectares of forested land.

निष्कर्ष (Conclusion)

तमिलनाडु के सिरुमुगाई में बन रहा पहला वन्यजीव पुनर्वास केंद्र घायल और संकटग्रस्त जानवरों के लिए एक नई उम्मीद बनकर उभर रहा है। अत्याधुनिक सुविधाओं, हरियाली से भरे वातावरण और समर्पित स्टाफ के साथ यह केंद्र न केवल राज्य बल्कि पूरे दक्षिण भारत में वन्यजीव संरक्षण की दिशा में एक मॉडल प्रोजेक्ट साबित हो सकता है।